भारतीय अर्थव्यवस्था: तेज़ी से बढ़ने वाली सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
साल 2023 की दूसरी तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था ने एक बार फिर अपनी मजबूती और विकास की गति को साबित कर दिया है। नई रिपोर्ट्स के अनुसार, विनिर्माण और सेवाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन ने इस विकास में अहम भूमिका निभाई। लेकिन क्या यह रफ़्तार स्थिर रहेगी?
आंकड़ों से साबित होता है भारत का प्रभाव
सितंबर 2023 की तिमाही में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि दर 7.6% रही, जो इसे दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बनाती है। वहीं, पिछले साल 2022-23 की इसी तिमाही में यह वृद्धि दर 6.2% थी।
दूसरी ओर, चीन ने जुलाई-सितंबर 2023 में केवल 4.9% की वृद्धि दर दर्ज की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती और लचीलेपन का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा, “हम तेज़ विकास की गति बनाए रखने और गरीबी उन्मूलन तथा जनजीवन को और आसान बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
कृषि और सेवाओं में हल्की गिरावट, निर्माण और खनन में उछाल
नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस (NSO) के अनुसार, कृषि क्षेत्र में जीवीए (सकल मूल्य वर्धित) वृद्धि दर घटकर 1.2% रह गई, जो पिछले साल 2.5% थी। वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाओं में भी कमी देखी गई, जहां यह 7.1% से गिरकर 6% पर पहुंच गया।
हालांकि, विनिर्माण क्षेत्र में भारी सुधार हुआ, जहां 13.9% की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 3.8% की गिरावट थी। खनन और उत्खनन क्षेत्र ने 10% की वृद्धि देखी, जो पिछली तिमाही में 0.1% की गिरावट थी।
निर्माण क्षेत्र में 13.3% की वृद्धि दर्ज की गई, जो पिछले साल 5.7% थी, और बिजली, गैस, पानी और अन्य उपयोगी सेवाओं में वृद्धि की दर 10.1% रही।
नाममात्र GDP और बुनियादी ढांचे में सुधार
आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-सितंबर 2023 की अवधि में वास्तविक (2011-12 के स्थिर मूल्यों पर) GDP 82.11 लाख करोड़ रुपये आंकी गई, जो पिछले साल की इसी अवधि में 76.22 लाख करोड़ रुपये थी। यह 7.7% का सुधार दर्शाता है।
नाममात्र GDP (मौजूदा मूल्यों पर) 8.6% की दर से बढ़कर 142.33 लाख करोड़ रुपये हुई। हालांकि, यह वृद्धि पिछले साल की 22.2% की तेज़ी दर की तुलना में कम रही।
इसके अतिरिक्त, आठ प्रमुख बुनियादी ढांचा क्षेत्रों ने अक्टूबर 2023 में 12.1% की वृद्धि दर्ज की, जिसका श्रेय कोयला, स्टील, सीमेंट और बिजली जैसे क्षेत्रों को जाता है। इस अवधि में सरकार का वित्तीय घाटा वार्षिक बजट अनुमान का 45% छू गया।
यह आंकड़े भारतीय अर्थव्यवस्था को स्थिरता और तेजी के रास्ते पर दिखा रहे हैं।