भारतीय क्रिकेटर सिद्धार्थ कौल ने खेल से लिया संन्यास
सिद्धार्थ कौल, भारतीय क्रिकेट टीम के प्रतिभाशाली तेज गेंदबाज, ने अपने संन्यास की घोषणा कर दी है। उनके सफर में क्रिकेट के विभिन्न प्रारूपों में अपार सफलता और संघर्ष की कहानियां शामिल रहीं। जानिए उनके करियर के मुख्य पड़ाव और उपलब्धियों के बारे में।
एक सफर का अंत, जिसका हर पल खास रहा
भारतीय तेज गेंदबाज सिद्धार्थ कौल ने गुरुवार को अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक भावुक संदेश के माध्यम से क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा की। कौल ने कहा, “जब मैं एक बच्चा था और पंजाब के खेतों में क्रिकेट खेला करता था, तो मेरा एक ही सपना था – अपने देश का प्रतिनिधित्व करना। 2018 में भगवान की कृपा से मुझे अपने सपने को साकार करने का मौका मिला।” उन्होंने 2008 के अंडर-19 वर्ल्ड कप में भी चमकदार प्रदर्शन किया, जिसकी कप्तानी विराट कोहली कर रहे थे।
कौल ने कुल मिलाकर 6 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले जिसमें टी20 प्रारूप में 4 विकेट लिए। घरेलू क्रिकेट और आईपीएल में उनकी गेंदबाजी का भी बोलबाला रहा। उन्होंने अपने करियर में 297 प्रथम श्रेणी विकेट, 199 लिस्ट ए विकेट और 182 टी20 विकेट झटके हैं।
आईपीएल और घरेलू क्रिकेट में मजबूत प्रदर्शन
आईपीएल क्रिकेट में, कौल ने 55 मैचों में 58 विकेट लिए। उन्होंने दिल्ली कैपिटल्स, सनराइजर्स हैदराबाद, और रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर का प्रतिनिधित्व किया। विशेष रूप से 2017 से 2021 तक हैदराबाद के लिए उनकी धीमी गेंदों और यॉर्कर गेंदों ने कई मैचों में टीम को जीत दिलाई।
घरेलू क्रिकेट में, पंजाब के लिए खेलते हुए उन्होंने सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी जीतने में योगदान दिया। इसके अलावा, उन्होंने नॉर्थहैंपटनशायर के लिए काउंटी क्रिकेट का भी अनुभव प्राप्त किया। इस सीजन में उनकी अंतिम उपस्थिति रनजी ट्रॉफी में पंजाब और हरियाणा के बीच मैच में रही।
खेल के प्रति समर्पण और धन्यवाद
कौल ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में कई योगदानकर्ताओं और प्रेरणास्त्रोतों का आभार जताया। उन्होंने लिखा, “मेरे माता-पिता, परिवार, और प्रशंसकों का समर्थन मेरे जीवन का सबसे बड़ा आधार रहा है। BCCI और आईपीएल टीमों का धन्यवाद, जिन्होंने मेरी क्षमताओं पर विश्वास किया और मुझे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना सर्वश्रेष्ठ देने का मौका दिया।”
सिद्धार्थ कौल एक ऐसे परिवार से आते हैं जिसका खेलों से गहरा नाता रहा है। उनके पिता तेज कौल जम्मू-कश्मीर के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेल चुके हैं और भारतीय टीम के फिजियोथेरेपिस्ट भी रहे हैं। उनकी मां संध्या एक जिमनास्ट और स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) की कोच रही हैं, जबकि बड़े भाई उदय कौल ने भी क्रिकेट में अच्छा खासा योगदान दिया है।
भविष्य की उम्मीदें
कौल ने अपने संन्यास संदेश को इस वाक्य के साथ खत्म किया: “मैं नहीं जानता कि भविष्य क्या लेकर आएगा, लेकिन मैं अपने क्रिकेट करियर को केवल सकारात्मक यादों के साथ देखता हूं। एक बार फिर, आप सभी का दिल से धन्यवाद।”
सिद्धार्थ कौल की क्रिकेट यात्रा न केवल उनके लिए बल्कि भारत और उनके प्रशंसकों के लिए भी प्रेरणादायक रही है। उनके समर्पण और परिश्रम ने उन्हें घरेलू और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उनके लिए एक खास पहचान दिलाई।
(हेडलाइन के अलावा, यह लेख NDTV टीम द्वारा एडिट नहीं किया गया है; यह एक सिंडिकेटेड स्रोत से प्रकाशित किया गया है।)